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नव वर्ष में आओ भाईचारे का फ़र्ज़ निभाएँ
नव वर्ष में आओ भाईचारे का फ़र्ज़ निभाएँ
नव वर्ष की नूतन बेला पर,
हम सब कुछ तो भाईचारे का फ़र्ज़ निभाएँ।
कुछ ज़्यादा न सही थोड़ा-सा ही कर दिखाएँ॥
रोते हुए चेहरों पर मुस्कान लाएँ,
धर्म, जाति-पाति के नाम पर,
होने वाली कलुषिता को मिटाएँ॥
नव वर्ष की नूतन बेला पर,
हम सब कुछ तो भाई चारे का फ़र्ज़ निभाएँ।
निराशा के मार्ग पर आशा के दीप जलाएँ॥
भटके हुए लोगों को सही मार्ग लाएँ,
आओ कुछ तो इंसानियत का फ़र्ज़ निभाएँ।
नव वर्ष की नूतन बेला पर,
हम सब कुछ तो भाई चारे का फ़र्ज़ निभाएँ॥
अपनी किसी एक बुरी आदत को,
त्यागने की सौगंध खाएँ।
ज्यादा न सही किसी एक ही का,
भविष्य संवारने का फ़र्ज़ निभाएँ॥
भूले हुए किसी राही को सही राह दिखाएँ,
कुछ ज़्यादा न सही थोड़ा-सा ही कर दिखाएँ॥
नव वर्ष की नूतन बेला पर,
हम भी कुछ भाईचारे का फ़र्ज़ निभाएँ॥
हिंदी है मृदुल भाषा
हिंदी है एक मृदुल भाषा,
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा।
हिंदी है एक वैज्ञानिक भाषा,
हिंदी है जनसाधारण की भाषा।
हिंदी है जीने की परिभाषा,
हिंदी है एक मृदुल भाषा।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा॥
गद्य में भी हिन्दी पद्य में भी हिन्दी,
दोहे और हर छंद में भी हिन्दी।
माँ के लाड प्यार में हिंदी,
बाप की डांट डपट में हिंदी।
हिंदी है मेरी अभिलाषा,
हिंदी है एक मृदुल भाषा,
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा॥
हिंदी हमारी मानोहर भाषा,
हिंदी पूरे देश को जोड़ने की भाषा।
हिंदी है वह भाषा,
सर्वाधिक बोलने वाली दूसरी भाषा॥
हिंदी नहीं केवल जन भाषा,
यह तो है विश्व की भाषा।
हिंदी है एक मृदुल भाषा,
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा॥
सिमता
हिन्दी अध्यापिका
राजकीय (कन्या) वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मलोट, ज़िला-श्री मुक्तसर साहिब (पंजाब)
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